Header Ads

क़सस अल अनबिया: हज़रत यूसुफ़ علیہ السلام - क़िस्त नं. 8 | Joseph - Prophet Yusuf |

क़स्सास उल अनबिया: हज़रत-ए यूसुफ़ अ़लैहिस्सलाम - क़िस्त नं. 8 | Joseph - Prophet Yusuf |
क़स्सास उल अनबिया: हज़रत-ए यूसुफ़ अ़लैहिस्सलाम - क़िस्त नं. 8

क़स्सास उल अनबिया: हज़रत यूसुफ़ अ़लैहिस्सलाम

शुरू ख़ुदावंद-ए सुब्हान के बा-बरकत नाम से जो दिलों का मालिक है और जो दिलों के राज़ बख़ूबी जानता है-

दुरूद ओ सलाम बर तमाम मुअज़्ज़िज़ क़ारईन ओ ज़ायरीन, अज़ जानिब-ए मरदम-ए निज़ाम-ए आलम आप मुअज़्ज़िज़ीन को मुहब्बतों भरा अस्सलामु अ़लैकुम व ख़ुश आमदीद, मैं आपका मेज़बान ज़ुलक़रनैन मुहम्मद सुलैमान और आप इस वक़्त मेरे साथ मौजूद हैं निज़ाम-ए आलम पर- 

बक़ब्ल-ए मुताअला तमाम ज़ायरीन ओ क़ारईन से गुज़ारिश पेश है की आज के इस मज़मून का मुताअला भी मस्ल-ए हमेशा दुरूद-ए इब्रहीम के साथ ही शुरू करें. एक बार दरूद पढ़ लेने से ख़ुदावंद-ए मतआल क़ारी पर 10 मर्तबा अपनी रहमतें नाज़िल फ़रमाता है-

بسم الله الرحمن الرحيم
  • - اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ،
  • - اللَّهُمَّ بَارِكَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَ ا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ 

दुरूद ओ सलाम बर ख़िताम अल अनबिया ओ मुरसलीन हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम व दुरूद ओ सलाम बर नबी-ए ख़ुदावंद-ए सुब्हान जनाब-ए यूसुफ़-ए सिद्दीक़ (अलैहिस्सलातुवस्सलाम):

हज़रत यूसुफ़ अ़लैहिस्सलाम - क़िस्त नं.8

जब बादशाह-ए मिस्र हज़रते सय्यदना यूसुफ़-ए सिद्दीक़ अलैहिस्सलातु वस्सलाम को ख़रीद कर अपने क़स्र की जानिब रवाना होने लगा तो ख़ुदावन्द-ए सुब्हान ने मालिक इब्न ज़ाअरान के सामने सय्यदना यूसुफ़-ए सिद्दीक़ अलैहिस्सलाम के असल हुस्न-ए मुबारक से तमाम परदे उठा दिए और यूं मालिक इब्न ज़ाअरान ने जब आप अलैहिस्सलाम का अस्ल हुस्न-ए मुबारक देखा तो वो चीख़ उठा, कहने लगा,

ये मैंने क्या किया मैंने तो निहायत ही कम क़ीमत में यूसुफ़ को बेच दिया, ये हुस्न मुझे आज से क़ब्ल कभी क्यों नहीं दिखा? मालिक इब्न ज़ाअरान को याद आया की जब, मैं यूसुफ़ علیہ السلام को शाम से लेकर निकला था तो उसने कहा था की जब तुम मुझे बेच दोगे तो मेरी अस्ल हक़ीक़त तुम पर वाज़ेह हो जायगी और तुम जान जाओगे की मैं कौन हूँ? बादशाह-ए मिस्र, क़ित्तिन जब आप अलैहिस्सलाम को अपने क़स्र लेकर पहुंचा तो उसके कुछ वक़्त बाद मालिक इब्न ज़ाअरान बादशाह-ए मिस्र के क़स्र आ गया,

और कहने लगा की इजाज़त हो तो मैं कुछ वक़्त के लिए यूसुफ़ علیہ السلام से बातें करना चाहूंगा. बादशाह ने इजाज़त दे दी और मालिक इब्न ज़ाअरान आप अलैहिस्सलाम के पास आया और बोला की तुमने मुझसे अहद किया था की जब मैं तुम्हें बेच दूंगा तो तुम बता दोगे की तुम कौन हो? सय्यदना यूसुफ़ अलैहिस्सलातु वस्सलाम फ़रमाते हैं की मैं कोई ग़ुलाम नहीं हूँ, मैं नबी इब्न नबी इब्न नबी इब्न नबी हूँ.

मैं यूसुफ़ इब्न याअक़ूब इब्न इस्हाक़ इब्न इब्राहीम हूँ और हम चचाज़ाद हैं मालिक इब्न ज़ाअरान कहता है की मगर जिन्होंने आपको बेचा था वो कौन लोग थे. आप अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं, वो सब मेरे भाई हैं. मालिक कहने लगा, आपके भाइयों ने आपको क्यों बेच डाला? आप अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं, मुझे ग़ीबत करना पसंद नहीं और मैंने उन्हें मआफ़ किया लिहाज़ा आप भी ये सवाल तर्क कर दें. मालिक शर्मसार और नादिम हो गया, उसने कहा वाय हो मुझ पर, जो एक नबी علیہ السلام को बतौर-ए ग़ुलाम बेच डाला. सय्यदना यूसुफ़- ए सिद्दीक़ अलैहिस्सलातु वस्सलाम, मालिक से फ़रमाते हैं की मुझे तो मिस्र में आकर बिकना ही था.

मुझे अपने बेचे जाने पर किसी से कोई शिकवा नहीं. दोनों के दरमियान गुफ़्तगू ख़त्म हुई. और हज़रत-ए यूसुफ़ बादशाह- ए मिस्र के पास तशरीफ़ लाये. बादशाह के मुशीर-ए ख़ास ने बादशाह से कहा की ये आपने क्या किया? सल्तनत के तमाम शाही ख़ज़ाने को महज़ एक ग़ुलाम के ख़ातिर दांव पर लगा दिया. बादशाह ने रईस-ए ख़ज़ाना से कहा की जाओ और जाकर देखो की कितना ख़ज़ाना बाक़ी रह गया है? ख़ाज़िन कहता है की सारा सरमाया ख़त्म हो चुका है. ये कहता हुआ ख़ाज़िन ख़ज़ाने के कमरे की जानिब जाता है और जब वहाँ पहुंचकर देखता है तो उसे बड़ी हैरत होती है. ख़ाज़िन कहता है की ये कैसे मुमकिन है? 

मैंने ख़ुद अपने हाथों से बादशाह को ख़ज़ाना ले जाकर दिया था और आख़िरी बार जब में यहां आया था तो सारा ख़ज़ाना ख़ाली हो चुका था मगर अब तो ये पहले से दुगना हो गया है. ख़ाज़िन भगा चला आया, बादशाह की जानिब और बादशाह से कहने लगा जब मैंने बैत उल माल का दरवाज़ा खोला तो पाया की जितना ख़ज़ाना पहले मौजूद था अब उससे दुगना हो गया है. अगर आपको यक़ीन नहीं तो आएं और आप ख़ुद चलकर देखें. हज़रत-ए अब्दुल्लाह इब्न अब्बास लिखते हैं की ख़ाज़िन बादशाह से कहता है, जब ख़ज़ाना निकला जा रहा था तो मैं वहीं मौजूद था, मैंने बज़ात-ए ख़ुद देखा था की सारा बैतुल माल ख़ाली हो चुका था.

यक़ीनन ये इस इबरानी ग़ुलाम के बा-बरकत वजूद के बाइस है. ये उसी का मोजज़ा है. बादशाह हज़रत यूसुफ़ से कहता है की ये सब तुम ने कैसे किया? हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं की ये मेरे ख़ुदा की शान है, ये सब उसी के मोअजज़ात हैं. ख़ाज़िन बादशाह से कहता है, जब आप मालिक इब्न ज़ार से यूसुफ़ का सौदा कर रहे थे तो एक सुफ़ैद रंग का परिंदा आया और उस परिंदे ने इस बच्चे से इंसानों की ज़बान में बातें की. मैंने इनकी बातचीत बज़ात-ए ख़ुद अपने कानों से सुनीं. ये बच्चा कोई आम बच्चा नहीं है. बादशाह कहता है, ज़रा मुझे भी बताओ की यूसुफ़ से उस परिंदे ने क्या बातें कीं?

ख़ाज़िन कहने लगा परिंदे ने यूसुफ़ علیہ السلام से कहा, या रसूलल्लाह, देखें जब आप ने अपनी क़ीमत ख़ुद लगायी तो हमने आप को खोटे सिक्कों के एवज़ बिकवा दिया. और जब हमने आप की क़ीमत लगायी तो बादशाह के सारे शाही ख़ज़ाने भी कम पड़ गए. ख़ाज़िन बादशाह से कहता है, वाक़ई इसके ख़ुदा के नज़दीक इसका मर्तबा बड़ा बुलंद है. जब बादशाह-ए मिस्र ने अपने ख़ाज़िन की ज़ुबान से ये सब बातें सुनीं तो बादशाह के दिल में हज़रत-ए यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के लिए अज़मत ओ इज़्ज़त पैदा हो गयी. बादशाह कहने लगा, अगर ऐसा है तो यूसुफ़ की जगह दीग़र ग़ुलामों के साथ नहीं होगी. हम इसे अपने पास रखेंगे, यहीं इसी क़स्र में. 

बादशाह कहता है की मैं यूसुफ़ को अपना बेटा बनाकर बा-इज़्ज़त ओ एहतराम अपने पास ही रखूंगा. उस वक़्त आप अलैहिस्सलाम की उम्र महज़ 10 साल थी. बादशाह ने हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को हज़रत ज़ुलैख़ा سلام الله عليها के सुपुर्द किया और कहा की इसे बड़े इज़्ज़त ओ एहतराम के साथ अपने पास ही रखना. हम इसे अपना मुंह बोला बेटा बना लेंगे. मुमकिन है की मुस्तक़बिल में हम यूसुफ़ علیہ السلام को बतौर अपना वली अहद मुनतख़िब कर लें. हज़रत-ए यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की तकरीम की बरकत से ख़ुदावन्द-ए यकता ने बादशाह-ए मिस्र को ईमान की दौलत अता फ़रमाई.

("यहां शैख़ उल इस्लाम हज़रत-ए इमाम-ए ग़ज़ाली रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं की हज़रत-ए यूसुफ़-ए सिद्दीक़ अलैहिस्सलातु वस्सलाम की वजह से अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने तीन लोगों को तीन चीज़ें अता कीं.

मालिक इब्न ज़ाअरान सय्यदना यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के ज़रिये दौलत चाहता था तो उसने ख़ूब दौलत पायी बादशाह-ए मिस्र ख़ूबरू ग़ुलाम ख़रीदकर इज़्ज़त और शोहरत चाहता था तो उसने इज़्ज़त भी पायी और शोहरत भी. और हज़रत-ए ज़ुलैख़ा रज़िअल्लाहु अ़न्हा हज़रत-ए यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को पाने की ख़्वाहां थीं, उन्हें रब-ए ज़ुलजलाल ने हज़रत-ए यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की हमसरी अता की.

यहां फिर शैख़ उल इस्लाम हज़रत-ए इमाम-ए ग़ज़ाली रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं की यही हाल तमाम मुस्लिमीन का है, कोई अल्लाह की इबादत करके दुनिया चाहता है और कोई अल्लाह की इबादत करके आख़िरत चाहता है और कोई अल्लाह की इबादत करके अल्लाह चाहता है, तो जो दुनिया कहते हैं उन्हें अल्लाह दुनिया अता कर देता है और जो आख़िरत चाहता है उसे ख़ुदावन्द-ए मतआल आख़िरत में सुर्ख़रूह करता है और जो यार चाहते हैं, उन्हें यार मिल जाता है और जिसे ख़ुदा मिल जाये तमाम कायनात उसकी हो जाती है.")

फ़िल-वक़्त आज की माअ़लूमात का हम यहीं इख़्तेताम करते हैं. सिलसिला-ए क़स्सास उल अ़नबिया में हज़रत-ए यूसुफ़-ए सिद्दीक़ अलैहिस्सलातु वस्सलाम के हालात-ए ज़िन्दगी पर मुस्तमिल अगली 9th क़िस्त जल्द अज़ जानिब- ए मरदम-ए निज़ाम-ए आलम शाया कर दी जायगी - इंशा अल्लाह. 

मज़ीद इसी तरह की तारीख़ी और इस्लामी माअलूमात के हुसूल की ग़र्ज़ से निज़ाम-ए आलम के साथ अपनी वाबस्तगी जारी रखें और बर-ऐ निज़ाम-ए आलम अपनी मोहब्बत ज़ाहिर करते हुए इस मज़मून की ज़्यादा से ज़्यादा इश्तराक गुज़ारी करें. 

शुक्रिया-

Post a Comment

0 Comments